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परिचर्चा : राष्ट्रमंडल खेल और सेक्स

 

यह पतन की पराकाष्ठा है। पश्चिमी सभ्यता भारतीय जीवन-मूल्यों को लीलने में जुटा हुआ है। भारतीय खान-पान, वेश-भूषा, भाषा, रहन-सहन, जीवन-दर्शन इन सब पर पाश्चात्य प्रवृति हावी होती जा रही है। हम नकलची होते जा रहे हैं। हम अपना वैशिष्टय भूलते जा रहे हैं। हम स्व-विस्मृति के कगार पर हैं। अच्छी प्रवृतियों की नकल करने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन हम गलत प्रवृतियों का भी अंधानुकरण करने से बाज नहीं आ रहे हैं। यह राष्ट्र के लिए घातक है। मन को व्यथित करनेवाला समाचार यह है कि अब यूपीए सरकार और दिल्ली सरकार ने राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान विदेशियों को सेक्स परोसने के लिए दिल्ली में 37900 सेक्स वर्कर पंजीकृत किए हैं। अनुमान यह है कि खेलों के दौरान उक्रेन, जियोर्जिया, कजाकिस्तान, उजबेकिस्तान, किर्गिजिस्तान और अन्य जगहों से लगभग 30,000 विदेशी सेक्स वर्कर भी भारत आकर अपना धंधा करेंगे। सवाल यह है कि विकास और प्रगतिशीलता की आड़ में आखिर हम कहां तक गिरेंगे?

गौरतलब है कि दिल्ली में इस समय 50 से 60 हजार लोग एचआईवी पॉजिटिव है। इनमें से करीब 1500 लोग एड्स पीड़ित हैं। दिल्ली भारत का ऐसा चौथा राज्य है जहां एड्स से पीड़ित रोगियों की संख्या सर्वाधिक है। सरकार ने चोरी-छिपे विदेशी खिलाड़ियों और खेल प्रेमियों के लिए जिन सेक्स वर्कर्स को तैयार किया है उनके स्वास्थ्य परीक्षण और एचआईवी संक्रमण की जांच के लिए कोई तंत्र ही नहीं तैयार किया है। इससे खतरा इस बात का है कि दिल्ली में एड्स रोगियों की संख्या 1500 से बढ़कर कई गुना अधिक हो सकती है। इसकी जिम्मेदार पूरी तरह से केन्द्र सरकार और दिल्ली सरकार होगी। सरकार ने सिर्फ 37900 सेक्स वर्कर्स की ही पहचान की है। इनकी वास्तविक संख्या इससे तीन गुना अधिक है।

ज्ञात हो कि जहां भी वैश्विक स्तर के खेल होते हैं वहां की सरकारें यौन बीमारियों के बारे में पहले से ही सचेत रहती हैं और इसके लिए बाकायदा एक तंत्र बनाती हैं जो उस देश के सैक्स वर्कर्स पर निरंतर निगरानी रखता है। इसी कारण खेलों के आयोजन वाले देश में यौन संक्रमण संबंधी बीमारियां नहीं होती हैं। भारत में इस प्रकार के आयोजन से पहले ऐसा कोई तंत्र विकसित नहीं किया गया है। भारत में एड्स संबंधित बीमारियां जोरों से फैल रही हैं। दिल्ली में एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन ने 1500 एड्स पीड़ितों को पहले से ही चिन्हित कर रखा है। अनुमान है कि खेलों के दौरान एड्स संक्रमण अवश्य होगा। इससे दिल्ली के स्वस्थ्य परिवार भी एड्स के चपेट में आ जायेंगे। दिल्ली में जी.बी. रोड जैसा पुराना मशहूर रेड लाइट एरिया सबको पता है। यहां की सैक्स वर्कर्स का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण नहीं किया जाता है। कागजों पर ही खानापूर्ति कर ली जाती है। खेलों के दौरान यौन संक्रमण फैलने का पूरा खतरा मौजूद है।

सीता, सावित्री के देश भारत में जहां नारी की पूजा की जाती है, वहां सरकार की ओर से नारी को भोग की वस्तु बनाकर प्रस्तुत करना क्या उचित है? आप क्या सोचते हैं?

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